Antarvasna, hindi sex story: मेरे और अमित भैया के बीच में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था भैया पैसे के इतने ज्यादा लालची हो चुके थे कि वह पूरी तरीके से बदल चुके थे। जब से भैया की शादी हुई थी भैया और भाभी चाहते थे कि वह लोग अलग रहने के लिए चले जाएं मैं उनकी इस बात से बिल्कुल भी खुश नहीं था। अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर के घर लौटा तो मुझे भैया और भाभी के विचार बिल्कुल भी ठीक नहीं लगे लेकिन मैं कुछ कर भी नहीं सकता था। वह लोग हमारी पुरानी प्रॉपर्टी को बेचकर नया घर खरीदना चाहते थे और भैया और भाभी अलग रहना चाहते थे। इस बात से मां बहुत ही ज्यादा नाराज थी क्योंकि पापा का देहांत भी कुछ समय पहले ही हुआ था और वह लोग अलग रहने के बारे में सोच रहे थे इससे घर का माहौल बिल्कुल भी ठीक नहीं था। घर में भाभी और मां की कई बार इस बात को लेकर झगड़ा भी हो जाया करता था। मैंने मां को समझाया हमारी पुरानी प्रॉपर्टी को भैया और भाभी को बेचने दो और वह लोग अलग चले जाए तो ही ठीक रहेगा। मां मेरी बात मान चुकी थी और उसके बाद भैया और भाभी ने दूसरा घर खरीद लिया और वह अलग रहने लगे।
भैया कभी कबार घर आ जाया करते थे लेकिन उसके बाद कभी भी भाभी घर पर नहीं आई इस बात से मां बहुत ही ज्यादा नाराज थी। मैं ही मां की देखभाल कर रहा था भैया से उम्मीद करना शायद ठीक नहीं था इसी वजह से मैं भैया से सारी उम्मीदें छोड़ चुका था और मैं बहुत ही ज्यादा परेशान भी था क्योंकि मां की तबीयत भी कुछ दिनों से खराब थी। मैंने मां को डॉक्टर के पास जाने के लिए कहा लेकिन वह डॉक्टर के पास ही नहीं जाती थी। एक दिन मैं मां को डॉक्टर के पास ले गया तो डॉक्टर ने उनका चेकअप किया और पता चला कि उनको बी.पी की बहुत ज्यादा परेशानी है। वह बहुत ज्यादा टेंशन लेने लगी थी जिससे कि उनका बी.पी अब बहुत ज्यादा बढ़ने लगा था और कई बार वह बहुत ही ज्यादा टेंशन में आ जाया करती थी। मैं और भैया अब एक दूसरे से कम ही बात किया करते थे मैं भी नौकरी करने लगा था लेकिन मुझे भी लग रहा था कि मां को किसी ऐसे की जरूरत है जो कि उनकी देखभाल कर सकें। मैं चाहता था कि मैं अब शादी कर लूं लेकिन मैं किसी समझदार लड़की से शादी करना चाहता था जो कि घर को अच्छे से संभाल पाए और मां की भी देखभाल कर पाए। जब मैं पहली बार अर्पिता को मिला तो अर्पिता से मिलकर मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा।
अर्पिता से मेरी मुलाकात मेरे दोस्त ने करवाई और अर्पिता से जब मेरी मुलाकात हुई तो हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझने लगे थे। अर्पिता भी कई बार मेरे घर पर आने लगी थी मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि हम दोनों एक दूसरे के इतने नजदीक आ जाएंगे कि हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगेंगे। मैंने अर्पिता को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था और अर्पिता को मेरे बारे में सब कुछ मालूम था इस बात से मैं बड़ा खुश था और अर्पिता भी बहुत ज्यादा खुश थी कि वह मेरे साथ अपना आगे का जीवन बिताएगी। उसके परिवार वालों को भी इससे कोई आपत्ति नहीं थी और उसकी फैमिली ने हम दोनों के रिलेशन को स्वीकार कर लिया था। मैं इस बात से बड़ा खुश था और मां को भी अर्पिता से कोई एतराज नहीं था। मां अर्पिता को अपनी बहू के रूप में देखना चाहती थी और मैं इस बात से खुश था कि मां ने अर्पिता और मेरे रिश्ते को पसन्द किया है। हम दोनों चाहते थे की हम दोनों कुछ महीनों में ही शादी कर ले मैंने अर्पिता को भैया और भाभी के बारे में सब कुछ बता दिया था इसलिए अर्पिता भी चाहती थी कि हम लोग जल्द से जल्द शादी कर ले। हम दोनों की सगाई तो हो गई थी और उसके बाद हम दोनों साथ में ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की भी कोशिश करने लगे।
जब भी हम दोनों साथ में होते तो हम दोनों को बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता और मुझे इस बात की बड़ी खुशी होती कि हम दोनों साथ में ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश कर रहे हैं। हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश थे और सब कुछ हमारी जिंदगी में अब ठीक चलने लगा था। जल्द ही हम दोनों की शादी का दिन भी तय हो गया और हम दोनों की शादी हो गई। जब अर्पिता से मेरी शादी हुई तो उसके बाद अर्पिता मां की देखभाल बड़े अच्छे से करती और मां भी इस बात से बड़ी खुश थी। मैं अर्पिता को अपनी पत्नी के रूप में पाकर बड़ा खुश था और वह घर की जिस तरीके से देखभाल कर रही थी और उसने घर को जिस तरीके से संभाल लिया था उससे मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और मां को भी यह बात बहुत ही अच्छी लगती थी। अर्पिता मां की हर बात माना करती और वह मां के साथ बहुत ही अच्छे से रहती जिससे कि मुझे बहुत ही खुशी थी। मैं अपनी जॉब पर पूरी तरीके से ध्यान दे रहा था और मेरी जिंदगी में अब सब कुछ अच्छे से चल रहा था। अर्पिता के साथ मैं जब भी होता तो मैं उसके साथ में समय बिताने की कोशिश जरूर किया करता क्योंकि मुझे अर्पिता के साथ में काफी अच्छा लगता था और उसे भी मेरे साथ बड़ा अच्छा लगता था। जब भी हम दोनों साथ में होते तो हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करते थे।
मैं नहीं चाहता था कि अर्पिता को मैं किसी भी प्रकार की कोई कमी करूँ या फिर उसे कभी कोई कमी हो इसलिए मैंने उसे हमेशा ही वह प्यार दिया जिससे कि उसे कभी भी ऐसा न लगे कि मैं उससे दूर हूं। हालांकि मैं अपनी जॉब में बहुत बिजी था फिर भी मैं अर्पिता के लिए समय निकाल ही दिया करता था। एक दिन अर्पिता ने मुझसे कहा रजत मैं चाहती हूं हम लोग कुछ दिनों के लिए कहीं घूमने के लिए चले जाएं। मैंने अर्पिता से कहा क्यों ना हम लोग कुछ दिनों के लिए जयपुर चले जाएं क्योंकि जयपुर में मामा जी रहते हैं उनके बेटे की शादी भी नजदीक आने वाली थी। मैंने अर्पिता से जब यह बात कही तो अर्पिता भी मेरी बात मान गई और वह कहने लगी फिर तो मां भी हमारे साथ चलेगी। मैंने अर्पिता को कहां मां भी हमारे साथ चलेंगी और हम लोग अब जयपुर जाने की तैयारी में थे। जब हम लोग जयपुर गए तो जयपुर में हम लोगों ने मेरे मामा जी के लडके रोनक की शादी अटेंड की और वहां पर कुछ दिनों तक हम लोग रहे फिर हम लोग वापस लौट आए। जब हम लोग वापस लौटे तो उस दिन मुझे काफी ज्यादा थकान महसूस हो रही थी मैं और अर्पिता लेटे हुए थे। कुछ देर तक मैं और अर्पिता एक दूसरे से बातें कर रहे थे लेकिन फिर मुझे नींद आ गई और मैं सो गया लेकिन जब मेरी आंख खुली तो मैंने अर्पिता को कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया। वह मुझे कहने लगी रजत क्या हुआ? मैंने अर्पिता के होठों को चूम लिया और उसके बाद में उसको किस करने लगा।
मेरा हाथ अर्पिता की जांघ पर लगा तो वह उत्तेजित होने लगी थी मेरी गर्मी बढ़ाने लगी थी़ अर्पिता ने मेरी गर्मी को बढ़ा दिया था। हम दोनो रह नहीं पाए मैं उसके नरम होंठों को चूमने लगा था। मैं अर्पिता के नरम होठों को चूम रहा था जिससे वह बहुत गरम हो रही थी। अब अर्पिता की चूत से पानी निकलने लगा था वह अपने पैरों को आपस में मिलाने लगी थी। मैं समझ चुका था वह रह नहीं पाएगी इसलिए मैंने अर्पिता के कपड़ों को उतारा तो वह पूरी तरीके से गर्म हो चुकी थी। मैं उसके बदन को महसूस करने लगा था। मैं उसके नरम बदन को महसूस करने लगा था मैंने उसकी ब्रा को उतारकर किनारे रखा तो मुझे उसके स्तनों को चूसने में मजा आने लगा था। मुझे अर्पिता के स्तनों को चूसने में बहुत ही मजा आता जब मैं उसके स्तनों को चूस रहा था उससे वह बहुत ज्यादा गर्म हो रही थी। अब हम दोनों की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी।
मैंने अर्पिता की पैंटी को उतारते हुए उसकी चूत को सहलाना शुरु किया। मैं जब उसकी पैंटी को उतार कर उसकी चूत को सहला रहा था तो वह पूरी तरीके से मजे में आ चुकी थी। हम दोनों की गर्मी बढ़ने लगी थी मैंने उसकी चूत मे लंड को घुसा दिया। जैसे ही मैंने अर्पिता की चूत मे लंड को डाला तो वह बहुत जोर से चिल्ला कर मुझे कहने लगी मेरी चूत से खून निकलने लगा है। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं उसकी योनि के अंदर बाहर लंड को किए जा रहा था। मेरा लंड बड़े ही आसानी से उसकी चूत के अंदर बाहर होता मुझे बहुत ही मजा आता हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होते जा रहे थे। करीब 5 मिनट तक मैं अर्पिता को धक्के मारता रहा लेकिन मुझे एहसास होने लगा था मैं ज्यादा देर तक उसकी टाइट चूत का मजा नहीं ले पाऊंगा। अर्पिता की चूत से खून भी निकल रहा था उसकी चूत की गर्मी को झेल पाना मुश्किल था उसने मुझे अपने दोनों पैरों के बीच में जकड लिया था जब उसने मुझे अपने पैरों के बीच में जकडा तो मैं बिल्कुल भी रह ना सका और मेरा वीर्य अर्पिता की चूत मे गिरने को था। जैसे ही मेरा वीर्य अर्पिता की चूत मे गिरा तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा और अर्पिता भी बहुत ज्यादा खुश थी। हम दोनों के बीच उस दिन के बाद अक्सर सेक्स संबंध बनते ही रहते हैं और हम दोनों को बहुत खुशी थी हम दोनो एक दूसरे के साथ अच्छे से सेक्स का मजा लेते हैं।
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